॥कायेन वाचा मयनसेन्द्रियैवा बुध्यात्मना वा प्रकृते: स्वभावात् । करोमि यद् यद् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि॥ **शरीरथी,वाणीथी, मनथी, इन्द्रियोथी,बुद्धिथी अथवा प्रकृतिना स्वभावथी जे कंइ करीए छीए ते बधुं समर्पित करीए छीए..अमारां जे कंइ कर्म छे, हे गुरुदेव! ए बधां आपना चरणोमां समर्पित छे...अमारो कर्तापणानो भाव,अमारो भोक्तापणानो भाव आपना चरणोमां समर्पित छे..
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