9 March 2011

@टेक@
ग्राम्य विस्तार मां एक वडील रहे. कोइने रोकडा रुपिया नु दान न करवानी टेक लीधी. एक वार एक व्यक्तिए भीख मां रोकडो रुपियो माग्यो. वडीले आपवानी ना पाडी अने कह्यु के तमारे जमवु होय तो जमी लो पण हु रोकडो रुपियो नहिं ज आपुं. मागण जम्यो, छतां तेणे रोकडा एक रुपिया नी मागणी चालु राखी. आम ने आम सांज पडी. छेवटे वडीले पोतानी चिता तैयार कराववा नो आदेश आप्यो. वडील चिता उपर सुइ गया अने लोको ने आग लगाडवानु कह्यु. पेलो भिखारी हजि सुधी रुपिया माटे जिद्द करतो हतो. वडील ना कहेवाथी लोकोए चिताने आग लगाडी. भिखारी उभो थयो अने क्षण मां आग होलवी ने अंतरध्यान थयो...

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